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लेखनी कहानी -18-Jan-2022 सर्दी का कहर

आजकल सर्दी ने बड़ा भयानक अवतार धारण कर रखा है । शायद यह पहले के जमाने की "सास" रही होगी । ललिता पंवार की तरह जो बात बात पर तमतमा जाती थी और बहू के खानदान को पानी पी पीकर कोसती थी । या फिर आजकल की बहू की तरह जो आते ही अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर देती है । बात बात पर दहेज उत्पीडन के केस में फंसाने की धमकी देती रहती है । 
सर्दी का व्यवहार उस गली के गुंडे की तरह हो गया है जो हफ्ता भी वसूल करता है, इज्ज़त भी नीलाम करता है । न जीने देता है और ना मरने देता है । जिस तरह पुलिस इस प्रकार के गुंडों से डरती है उसी प्रकार धूप भी सर्दी से डरकर न जाने कहाँ छुप गई है । जिस तरह नेता लोग थानेदार को काम नहीं करने देते हैं उसी प्रकार से कोहरे ने भी सूर्यदेव के रथ के पहिए जकड़ लिये हैं । सूर्यदेव अपने आपको इस भयंकर सर्दी के सामने असहाय पा रहे हैं और युद्ध का मैदान छोड़कर भाग खड़े हुए हैं । 

शीतलहर दनादन कोड़े बरसा रही है । लोग घायल होकर खांस रहे हैं, छींक रहे हैं और बुखार में तप रहे हैं । सबको इस हालत में देखकर शीतलहर मौज मना रही हैं । लोग जिस तरह देवी को मनाते हैं वैसे ही इस शीतलहर की आरती उतार रहे हैं  
जय शीतलहर मैय्या , ओ मैय्या, शीतलहर मैय्या
तोहरे कारण मर जाती, सबकी अपनी सी मैय्या । 

लोग शीतलहर देवी को मनाने के लिए गरम गरम पुए, पकौड़े, छोले भटूरे, तरह तरह के परांठे, आलू, मेथी, मूली, पनीर, गोभी और न जाने किस किस के परांठे बनाकर शीतलहर मैय्या का भोग लगा रहे हैं और स्वयं भी प्रसाद ग्रहण कर आनंद उठा रहे हैं । 

हलवा भी अपने कुटुंब के साथ आया हुआ है । गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा, अखरोट का हलवा, सूजी का हलवा, आटे का हलवा सब के सब आये हुए हैं और अपनी खुशबू से पड़ौसियों को भी बता रहे हैं कि हमारी बारात "वात्सल्य" में आई हुई है । 

तिल का परिवार भी बड़ा खुश है आजकल । और हो भी क्यों नहीं ? उसकी तो पौ बारह है । तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी, तिलपपड़ी, तिलपट्टी, तिल मावा के लड्डू, तिल के पूए सब आनंद मना रहे हैं । कह रहे हैं कि साल में बस दो महीने ही तो हमारे अपने हैं बाकी तो गर्मी रानी के हैं । 

पानी को कोई पूछ नहीं रहा है इसलिए शादी में रूंसे फूफा की तरह वह भी रूठकर टंकी में जम गया है । निकलने का नाम ही नहीं ले रहा है । सब लोगों के द्वारा मिन्नतें करने के बाद पानी ने दरियादिली दिखाते हुये थोड़ा रहम कर पिघल गया है और बाथरुम में आकर काम चला रहा है । 

ऊनी कपड़ों में होड़ मच रही है । शुरू में तो स्वेटर , कोट, जाकेट , बड़े खुश लग रहे थे मगर जबसे सर्दी ने अपना रंग दिखाना शुरू किया है तबसे ये सब गायब से हो गए हैं । अब तो फुल आस्तीन वाली जरसी, ओवरकोट, पुलोवर का जमाना है । उस पर भी शॉल, स्टॉल, कंबल, लोई डालनी पड़ रही है । बेचारे ब्लैंकेट एक कोने में पड़े पड़े रो रहे हैं क्योंकि उनकी जगह अब उनकी नानी "रजाई" ने ले ली है जो अपने सफेद बालों को लहराती हुई गजब ढा रही है । 

शीतलहर भी अपने साथ बरसात को लेकर आई है जैसे कभी कभी घरवाली अपने साथ अपनी बहन और भाई को ले आती है । बरसात साली की तरह बड़ा तरसाती है । हमेशा की तरह साला आंखों की किरकिरी बना रहता है उसी तरह शीतलहर का भाई "ओला" भी आंखों की किरकिरी बना हुआ है । पता नहीं ये सब मिलकर कैसी धमाचौकडी मचायेंगे । हमारा तो जीना मुश्किल कर देंगे । 

जब सर्दी से कोई नहीं बचा पाये तो बस एक ही उपाय नजर आये । घरवाली ही ऐसी है जो इससे बचा पाये । उसकी गरमी से सब कुछ पिघल जाये । इसलिए घरवाली ही सब मुसीबतों से बचाये । घरवालीम् शरणम् गच्छामि । 

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5 Comments

Seema Priyadarshini sahay

26-Jan-2022 01:01 AM

बहुत खूब

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Punam verma

19-Jan-2022 04:30 PM

Waah bahut khoob sir

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Hari Shanker Goyal "Hari"

19-Jan-2022 06:39 PM

धन्यवाद जी

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Aliya khan

18-Jan-2022 05:32 PM

Wah sr kya kya ढूंढ ढूंढ कर वाक्य लाये है गजब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

18-Jan-2022 08:53 PM

धन्यवाद मैम

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